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Monday, April 29, 2024

पीएफआई पर प्रतिबंध वरदान या अभिशाप

पीएफआई पर प्रतिबंध वरदान या अभिशाप

जब से सरकार ने पी एफ आई पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा है बहुत सारे लोग मुख्यत: पीएफआई से सहानुभूति रखने वाले इस कदम पर घड़ियाली आंसू बहा रहे है ।कुछ ने तो इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सोची-समझी भेदभाव करार दिया तो कुछ ने तो इसे क्रांति आवाज पर रोक बताया । इस कदम पर किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले या आवश्यक है कि प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों का अवलोकन किया जाए ।

आतंकी विचारधारा को समर्थन देने वाला पी एफ आई तंत्र और मजहबी निरपेक्षता को दूषित करता है । और मानता है कि भारतीय संविधान इस्लाम के मूल सिद्धांतों से विपरीत है। पीएफआई ने हमेशा से बल दिया है कि एक सच्चा मुसलमान भारतीय संविधान में कभी भी आस्था या निष्ठा नहीं रख सकता है । यह इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए बल प्रयोग को सही ठहराता है ,मुसलमानों को मौलिक रूप से प्रेरित करता है और भारतीय उपमहाद्वीप के देसी सद्भाव पूर्ण इस्लाम को एक कट्टरपंथी संस्करण में बदलने का प्रयास करता है । अलकायदा ने स्थितियां बया करते हुए कहा था कि इस्लामी राज्य बनने में भारतीय धर्म निरपेक्षता एक मूलभूत बाधा है जो कि पी एफ आई के विचारधारा को धवनृत करता है।

जकात के नाम पर पी एफ आई प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए इकट्ठा करता है ।सीधे-साधे मुसलमान इस आशा पर पी एफ आई को जकात देते हैं कि उनके पैसे जरूरतमंद की भलाई पर खर्च होगा । जबकि उनमें से कुछ को ही पता है कि यह हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि दान में दिए हुए पैसे शाहिनबाग मुख्यालय में बिना कोई लेखा जोखा के पाए गए । जांच में यह भी पता चला कि पैसे को एंटी सी .ए. ए. कार्यक्रम के दौरान पूरे देश में बांटा गया था। कुरान के आयत 960 में अल्लाह ने स्पष्ट किया है की दान केवल जरूरतमंदों, निराश्रितो , बंदियों को मुक्त करने, कर्जदारों के लिए अल्लाह के कारणों के लिए इस्तेमाल होगा । सीमित ज्ञान के साथ कोई भी नौसिखिया आसानी से समझ सकता है कि इनमें से किसी भी में नहीं आता है । पीएफआई के पास एक वरिष्ठ संवर्ग है है जो कि इस घटना में संलिप्त रहने वाले कार्यकर्ताओं को आकस्मिक अवस्था में दुश्मन पर हमला करवाना, उनसे हथियार रखने का साधन पैसा आग मुहैया कराता है । ऐसे ही में एक वरिष्ठ कार्यकर्ता का नाम सादिक है जो कि पीएफआई द्वारा मैंगलोर में 2008 में आयोजित परेड का ध्वजवाहक था उसने बताया कि उनके आदमी ने आडवाणी के सुरक्षा में मुस्तैद एनएसजी कमांडो की हत्या की । पी एफ आई अपने आपको साफ सुथरा संगठन बताता है । खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय मुसलमानों से करोड़ों में धन इकट्ठा करता है । और हवाला के माध्यम से इसे भारत भेजता है । पकड़ में आने से बचने के लिए पैसे को एक बार में 10 लाख से अधिक नहीं रखा जाता था । इसमें कोई भी आश्चर्य नहीं है कि पी एफ आई कार्यकर्ता सादिक हत्या करवाने के लिए गुर्गे की भर्ती करता था । पी एफ आई कहता है शहादत की चाहत इमान वालों की विशेषता परंतु पीएफआई के अधिकारियों से पूछना चाहिए की शहादत को साबित करें । जरूरी है कि एक शिक्षक का हाथ काटना जरूरी था ,गैर मुस्लिम की जघन्य हत्या या आतंकी कृत्य लिप्त होना इत्यादि ।

तुर्क लेखक हारून याहिया( अदनान ओखतार ) ने एक बार कहा था कि इस्लाम मजहब कभी भी आतंकवाद का समर्थन नहीं कर सकता। इसके विपरीत निर्दोष लोगों की हत्या इस्लाम में एक महान पाप है । इन कृत्यों को रोकने के लिए और दुनिया में शांति और न्याय लाने के लिए मुसलमान जिम्मेदार हैं । तथ्यों को आधार बनाकर किसी संगठन को प्रतिबंधित करना सरकार की जिम्मेदारी है । यह तथ्य पर आधारित है या नहीं इसका फैसला अदालत करेगी । परंतु मानव जाति के नाते हमें इस फैसले का समर्थन करना चाहिए जिससे पी एफ आई जैसे चरमपंथी संगठन को समाज में घृणा फैलाने से रोका जा सके और भारत को रहने के लिए एक सुंदर जगह बनाया जा सके ।

मंसूर खान लेखक सूफी इस्लामिक के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष

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