दो चरणों में सम्पन्न हुआ मंचन
पांव पखार श्री राम के, केवट ने कराया प्रभू को गंगा पार
गुरुजन, माताओं और प्रजाजनो के साथ चित्रकूट पहुंचे भ्राता भरत और शत्रुघ्न
मर्यादा पुरुषोत्तम को वापस अयोध्या लाने का प्रयास विफल, श्रीराम ने पिता वचनों की रखी लाज
शाहगंज/ जौनपुर
नगर की सुविख्यात श्रीराम लीला का मंचन छठवें दिन बृहद रूप धारण करते हुए दो चरणों में संपन्न हुई। पहला दिन की लीला जिसके अंतर्गत केवट के राम और गंगा पार की लीला संपन्न हुई। वहीं दूसरे चरण में रात्रि की लीला नगर के नई आबादी स्थित रामलीला मंच पर संपन्न हुई। जिसमें भरत चित्रकूट गमन, निषाद राज का क्रोध, भरत निषाद संवाद, भरत भारद्वाज संवाद, लक्ष्मण रोश, भरत राम मिलन, भरत राम संवाद, जनक सभा व चरण पादुका को लेकर भरत का अयोध्या आगमन की लीला का मंचन किया गया। मंचन की व्यवस्थाओं में अक्षत अग्रहरि और वैभव अग्रहरि के साथ अन्य कार्यकर्ताओं का विशेष सहयोग रहा।
इनही चरणन की रज से पत्थर की शीला सुंदर नारी बन गई, इनहौ चरणन क जादू टोना से हमार काठ की नौका जाने का से का बन जाए…. केवट के संवाद
छठवें दिन की लीला के क्रम में सोमवार की शाम नगर के पक्का पोखरा स्थित रामलीला मंच पर अयोध्या से आई मंडली के कलाकारों द्वारा लीला प्रस्तुत की गई ।जिसमें श्री राम, भैया लक्ष्मण और माता सीता को वनवास में गंगा पार कराने से पहले केवट ने उनके चरणों को धोकर धोवन का पान किया। उसके बाद अपनी नौका पर बिठा गंगा पार कराया।
वहीं नगर के नई आबादी स्थित रामलीला मंच पर रात्रि लीला मंचन के दौरान कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लीला में देवतुल्य बड़े भैया श्रीराम को मना कर वापस अयोध्या लाने के लिए भरत, शत्रुघ्न, माताएं, गुरुजन सहित अयोध्या वासी चित्रकूट धाम की ओर चल दिए। भारी संख्या में अयोध्या वासियों को आता देख निषादराज और लक्ष्मण दोनो ने प्रथम दृष्टया भरत की इस करुण वंदन भरी भ्राता मिलन यात्रा को युद्ध करने वाली सेना समझ लिया था। लेकिन इसके इतर जहां श्रीराम को मना अयोध्या वापस लेजाने में विफल रहे भरत ने श्रीराम का प्रतीक मान उनकी खड़ाऊ को लेकर अयोध्या वापस लौटे। दोनों चरणों की लीला देख भक्तजन भाव विभोर हो उठे और लीला दर्शन के दौरान कई बार जय श्री राम के जयघोष लगाए।