यूनियन बैंक परिसर में नहीं है शौचालय
उपभोक्ता हलकान
शाखा प्रबंधक पर तानाशाही व आवश्यक ग्राहक सुविधाओं की अनदेखी का आरोप
आस पास 500 मीटर तक नहीं है कोई मूत्रालय/ शौचालय, महिला खाता धारक हैं खासा परेशान
बचत खाता खोलने में लगता है हफ्ते भर का समय
शाहगंज/जौनपुर
मोदी सरकार बैंकिंग सुविधाओं के वृद्धि हेतु प्राणप्रण से जुटी हैं। आन लाइन बैंकिंग बैंक ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने बेरोजगारों को श्रृण उपलब्ध करा स्वरोजगार उपलब्ध कराना प्राथमिकता में हैं। इस हेतु बैंक में मूलभूत आवश्यकता के विस्तार पर बड़ी रकम खर्च किया जा रहा है। लेकिन नगर के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा में इसका पूरी तरह अभाव है। मैनेजर समेत कर्मचारियों में बेअदबी का दस्तूर है।
वैसे तो सरकारी, अर्धसरकारी और गैरसरकारी दफ्तर, कार्यालयों आदि स्थानों पर मूत्रालय/शौचालयों के अनिवार्य मानक निर्धारित हैं। लेकिन अधिकतर स्थानों पर ऐसे मानकों की अनदेखी और बेपरवाही ही दिखाई देती है। अब अगर बात करें नगर के मध्य स्थित यूनियन बैंक की स्थानीय शाखा की तो वहां भी ऐसा ही प्रकरण प्रकाश में आ रहा हैं। मानकों को ताक पर रख ऐसे बेहद जरूरी व्यवस्थाओं की बली चढ़ा दी गई है । फिर भी जिम्मेदार मौन हैं।
गौरतलब है कि बैंक के अंदर बने शौचालय/ मूत्रालय को बैंक कर्मियों के लिए रिजर्ब कर दिया गया है। वहीं गेट के बगल बने महज फौरी मूत्रालय पर भी अब ताला लटकता दिख रहा है। इस बाबत बैंक ग्राहकों सहित स्थानीय लोगों का आरोप है कि बैंक के नवागत शाखा प्रबंधक ने तानाशाही रुख इख्तियार करते हुए उस मूत्रालय पर ताला लगवा दिया है। वहीं बैंक परिसर से लगभग 500 मीटर तक कोई अन्य मूत्रालय या शौचालय नहीं है। ऐसे में बैंक आने वाले ग्राहकों खास तौर पर महिलाओं को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पुरुषों में भी घोर असंतोष व्याप्त है।
नाम न बताने की शर्त पर नगर के एराकियाना मोहल्ला निवासी एक महिला (42) ने बताया कि कभी कभी बैंक में घंटों लग जाता है। ऐसे में शौचालय आदि की कोई अनिवार्य व्यवस्था न होने से बहुत दिक्कत होती है। अब सवाल यह उठता है कि हासिए पर चढ़े मानकों और शाखा प्रबंधक की तानाशाही पर जिम्मेदार आखिर कब तक चुप्पी साधे बैठे रहेंगे।